डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
डॉ. अवुल पाकीर जैनुलाबदिन अब्दुल कलाम तथा ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
(ऑक्टोबर १५, इ.स. १९३१ - २७ जुलै, इ.स. २०१५) हे भारतीय शास्त्रज्ञ आणि भारताचे अकरावे राष्ट्रपती (कार्यकाळ २५ जुलै, इ.स. २००२ ते २५ जुलै, इ.स. २००७ होते. आपल्या आगळ्या वेगळ्या कार्यपद्धतीमुळे ते 'लोकांचे राष्ट्रपती' म्हणून लोकप्रिय झाले.
शिक्षण
त्यांचे वडील रामेश्वरमला येणार्या यात्रेकरूंना होडीतून धनुष्कोडीला नेण्याआणण्याचा व्यवसाय करीत. डॉ. कलाम यांनी आपले शालेय शिक्षण रामनाथपुरम्ला पूर्ण केले. लहान वयातच वडिलांचे छत्र गमावल्याने डॉ. कलाम गावात वर्तमानपत्रे विकून, तसेच अन्य लहान मोठी कामे करून पैसे कमवीत व घरी मदत करीत. त्यांचे बालपण खूप कष्टात गेले. शाळेत असताना गणिताची त्यांना विशेष आवड लागली. नंतर ते तिरुचिरापल्ली येथे सेंट जोसेफ कॉलेजमध्ये दाखल झाले. तेथे बी.एस्सी. झाल्यानंतर त्यांनी 'मद्रास इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजीत प्रवेश घेतला. प्रवेशासाठी लागणारे पैसेही त्यांच्याकडे नव्हते. बहिणीने स्वतःचे दागिने गहाण ठेवून त्यांना पैसे दिले. या संस्थेतून एरॉनॉटिक्सचा डिप्लोमा पूर्ण केल्यानंतर, त्यांनी अमेरिकेतील 'नासा' या प्रसिद्ध संशोधन संस्थेत चार महिने एरोस्पेस टेक्नॉलॉजीचे प्रशिक्षण घेतले.
त्यानंतर अब्दुल कलाम यांचा १९५८ ते ६३ या काळात संरक्षण संशोधन व विकास संस्थेशी (DRDO) संबंध आला.
*कार्य*
१९६३ मध्ये ते भारतीय अवकाश संशोधन संस्थेत (इस्रो) क्षेपणास्त्र विकासातील पिएसएलव्ही(सेटेलाइट लॉन्चिंग व्हेईकल) च्या संशोधनात भाग घेऊ लागले.इंदिरा गांधी पंतप्रधान असताना भारताने क्षेपणास्त्र विकासाचा एकात्मिक कार्यक्रम हाती घेतला त्या वेळी डॉ. कलाम पुन्हा डीआरडीओमध्ये आले.
स्वदेशी बनावटीची क्षेपणास्त्रे तयार करण्याची त्यांची जिद्द तेव्हापासूनचीच आहे. भारतीय अवकाश संशोधन संस्थेत (इस्रोमध्ये) अ
सताना सॅटेलाईट लाँन्चिंग व्हेईकल -३ या प्रकल्पाचे ते प्रमुख झाले. साराभाईनी भारतात विज्ञान तंत्रज्ञानाची आघाडी डॉ. कलाम यांनी सांभाळावी, असे वक्तव्य केले होते, ते पुढे कलामांनी सार्थ करून दाखविले. साराभाईंचेच नाव दिलेल्या 'विक्रम साराभाई अवकाश केंद्रा'चे ते प्रमुख झाले.
वैयक्तिक कामापेक्षा सांघिक कामगिरीवर त्यांचा भर असे व सहकार्यांमधील उत्तम गुणांचा देशाच्या वैज्ञानिक प्रगतीसाठी उपयोग करून घेण्याची कला त्यांच्यामध्ये होती. क्षेपणास्त्र विकासकार्यामधील 'अग्नी' क्षेपणास्त्राच्या यशस्वी चाचणीमुळे डॉ. कलाम यांचे जगभरातून कौतुक झाले. पंतप्रधानांचे वैज्ञानिक सल्लागार म्हणून काम करतांना देशाच्या सुरक्षिततेच्या दृष्टीने त्यांनी अनेक प्रभावी धोरणांची आखणी केली. त्यांनी संरक्षण मंत्र्यांचे वैज्ञानिक सल्लागार व डीआरडीओ चे प्रमुख म्हणून त्यांनी अर्जुन हा एम.बी.टी.(मेन बॅटल टँक) रणगाडा व लाइट काँबॅट एअरक्राफ्ट (एलसीए) यांच्या निर्मितीत महत्त्वाची भूमिका पार पाडली.
विज्ञानाचा परम भोक्ता असणारे डॉ. कलाम मनाने खूप संवेदनशील व साधे होते. त्यांना रुद्रवीणा वाजण्याचा, मुलांशी गप्पा मारण्याचा छंद होता. भारत सरकारने 'पद्मभूषण', 'पद्यविभूषण' व १९९८ मध्ये 'भारतरत्न' हा सर्वोच्च किताब देऊन त्यांचा सन्मान केला. डॉ. कलाम हे अविवाहित व पूर्ण शाकाहारी होते. बालपण अथक परिश्रमांत व्यतीत करून विद्येची अखंड साधना करीत खडतर आयुष्य जगलेले, आणि जगातील सर्वात मोठया लोकशाही राष्ट्राच्या राष्ट्रपतिपदी निवड झालेले डॉ. कलाम, हे युवकांना सदैव प्रेरणा देणारे व्यक्तिमत्त्व होते. पुढील वीस वर्षांत
होणार्या विकसित भारताचे
स्वप्न ते सतत पाहत असत..
*डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम*
*गौरव*
भारत सरकारने 'पद्मभूषण', 'पद्मविभूषण' व १९९७ मध्ये 'भारतरत्न' हा सर्वोच्च किताब देऊन त्यांचा सन्मान केला.
Year of Award or Honor
१९८१ पद्मभूषण भारत सरकार
१९९० पद्मविभूषण भारत सरकार
१९९७ भारतरत्न भारत सरकार
१९९७ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकात्मता पुरस्कार भारत सरकार
१९९८ वीर सावरकर पुरस्कार भारत सरकार
२००० रामानुजम पुरस्कार मद्रासचे अल्वार रिसर्च सेंटर
२००७ किंग चार्ल्स (दुसरा) पदक ब्रिटिश रॉयल सोसायटी
२००७ डॉक्टर ऑफ सायन्स ही मानद पदवी वॉल्व्हरहॅम्प्टन विद्यापीठ, U.K
२००८ डॉक्टर ऑफ इंजिनिअरिंग (Honoris Causa) नान्यांग टेक्नॉजिकल युनिव्हर्सिटी, सिंगापूर
२००९ हूवर पदक ASME Foundation(अमेरिकन सोसायटी ऑफ मेकॅनिकल इंजिनिअर्स)
२००९ आंतरराष्ट्रीय von Kármán Wings पुरस्कार अमेरिकेतील कॅलिफोर्निया इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, U.S.A
२०१० डॉक्टर ऑफ इंजिनिरिंग वॉटरलू विद्यापीठ
२०११ न्यू यॉर्कच्या IEEE (इन्स्टिट्यूट ऑफ इलेक्टिकल अॅन्ड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजिनिअर्स) या संस्थेचे समासदत्व. IEEE
डॉ. कलामांची कारकीर्द
शिक्षण : श्वार्ट्झ (Schwartz) हायस्कूल, रामनाथपुरम. सेंट जोसेफ कॉलेज, त्रिचनापल्ली येथे विज्ञान शाखेतील पदवी (१९५४). नंतर चेन्नई येथून एरोनॉटिकल इंजिनियरिंगची पदविका घेतली (१९६०).
१९५८ : डी.आर.डी.ओ.मध्ये सीनियर सायंटिस्ट. तेथे असताना प्रोटोटाईप हॉवरक्रॉफ्ट (हॉवरक्राफ्टचे कामचलाऊ मॉडेल) तयार केले. हैद्राबादच्या डी.आर.डी.ओ.(डिफेन्स रिसर्च अॅन्ड डेव्हलपमेंट ऑर्गनायझेशन)चे संचालकपद.
१९६२ : बंगलोरमध्ये असताना भारतीय अवकाश कार्यक्रमात सहभागी. एरोडायनॅमिक्स डिझाइनच्या फायबर रीएनफोर्स्ड प्लास्टिक (FRP) या प्रकल्पात सहभागी.
१९६३ ते ७१ :विक्रम साराभाई यांच्याबरोबर काम केले. तिरुअनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) येथील विक्रम साराभाई स्पेस रिसर्च सेंटर (ISRO) येथे सॅटेलाईट लॉन्च व्हेईकल (SLV) प्रोग्रॅमचे प्रमुख.
१९७८ ते ८६ : प्रा. सतीश धवन यांच्याबरोबर काम.
१९७९ : SLVच्या उड्डाण कार्यक्रमाचे संचालक
१९७९ ते ८० : थुंबा येथे एसएलव्ही-३ चे प्रोजेक्ट डायरेक्टर. (जुलै १९८० अवकाशात रोहिणी हा कृत्रिम उपग्रह प्रक्षेपित)
१९८१ : पद्मभूषण पुरस्कार प्राप्त
१९८५ : त्रिशूल या अग्निबाणाची निर्मिती.
१९८८ : पृथ्वी अग्निबाणाची निर्मिती. रिसर्च सेंटरची इमारत तयार करवली.
१९८९ : अग्नी या अग्निबाणाची निर्मिती.
१९९० : आकाश व नाग या अग्निबाणांची निर्मिती.
१९९१ : वैज्ञानिक सल्लागार, संरक्षण मंत्री व डी.आर.डी.ओ.चे प्रमुख या नात्याने त्यांनी अर्जुन हा एम.बी.टी.(मेन बॅटल टँक) हा रणगाडा व लाइट काँबॅट एअरक्राफ्ट (एल.सी.ए.) यांच्या निर्मितीत महत्त्वाची भूमिका पार पाडली.
१९९४ : 'माय जर्नी ' हा कवितासंग्रह प्रकाशित.
२५ नोव्हें. १९९८ : भारतरत्न हा पुरस्कार प्राप्त.
२००१ : सेवेतून निवृत्त.
२००२ : भारताच्या राष्ट्रपतीपदावर नेमणूक.
निधन
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम यांची प्रकृती शिलाँग येथील आय.आय.एम.च्या कार्यक्रमात व्याख्यान देताना बिघडली. शिलाँगमधीलच एका रुग्णालयात त्यांनी २७ जुलै, इ.स. २०१५ रोजी अखेरचा श्वास घेतला.
*❁════┅┄🌀🔘🌀┄┅════❁*
*❁════┅┄🌀🔘🌀┄┅════❁*
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
जन्म: 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु
मृत्यु: 27 जुलाई, 20 15, शिलोंग, मेघालय
पद/कार्य: भारत के पूर्व राष्ट्रपति
उपलब्धियां: एक वैज्ञानिक और इंजिनियर के तौर पर उन्होंने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। वर्ष 2002 में कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए और 5 वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
प्रारंभिक जीवन
अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ। उनके पिता जैनुलअबिदीन एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थे इसलिए उन्हें छोटी उम्र से ही काम करना पड़ा। अपने पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का कार्य करते थे। अपने स्कूल के दिनों में कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे। उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। उसके बाद वर्ष 1955 में वो मद्रास चले गए जहाँ से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1960 में कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की।
कैरियर
मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद कलाम ने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में वैज्ञानिक के तौर पर भर्ती हुए। कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटे हेलीकाप्टर का डिजाईन बना कर किया। डीआरडीओ में कलाम को उनके काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। कलाम पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा गठित ‘इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ के सदस्य भी थे। इस दौरान उन्हें प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ कार्य करने का अवसर मिला। वर्ष 1969 में उनका स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में हुआ। यहाँ वो भारत के सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना के निदेशक के तौर पर नियुक्त किये गए थे। इसी परियोजना की सफलता के परिणामस्वरूप भारत का प्रथम उपग्रह ‘रोहिणी’ पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। इसरो में शामिल होना कलाम के कैरियर का सबसे अहम मोड़ था और जब उन्होंने सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना पर कार्य आरम्भ किया तब उन्हें लगा जैसे वो वही कार्य कर रहे हैं जिसमे उनका मन लगता है।
1963-64 के दौरान उन्होंने अमेरिका के अन्तरिक्ष संगठन नासा की भी यात्रा की। परमाणु वैज्ञानिक राजा रमन्ना, जिनके देख-रेख में भारत ने पहला परमाणु परिक्षण किया, ने कलाम को वर्ष 1974 में पोखरण में परमाणु परिक्षण देखने के लिए भी बुलाया था।
सत्तर और अस्सी के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से डॉ कलाम भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में उनका नाम गिना जाने लगा। उनकी ख्याति इतनी बढ़ गयी थी की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपने कैबिनेट के मंजूरी के बिना ही उन्हें कुछ गुप्त परियोजनाओं पर कार्य करने की अनुमति दी थी।
भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ का प्रारम्भ डॉ कलाम के देख-रेख में किया। वह इस परियोजना के मुख कार्यकारी थे। इस परियोजना ने देश को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें दी है।
जुलाई 1992 से लेकर दिसम्बर 1999 तक डॉ कलाम प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव थे। भारत ने अपना दूसरा परमाणु परिक्षण इसी दौरान किया था। उन्होंने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आर. चिदंबरम के साथ डॉ कलाम इस परियोजना के समन्वयक थे। इस दौरान मिले मीडिया कवरेज ने उन्हें देश का सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया।
वर्ष 1998 में डॉ कलाम ने ह्रदय चिकित्सक सोमा राजू के साथ मिलकर एक कम कीमत का ‘कोरोनरी स्टेंट’ का विकास किया। इसे ‘कलाम-राजू स्टेंट’ का नाम दिया गया।
भारत के राष्ट्रपति
एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर उनकी उपलब्धियों और प्रसिद्धि के मद्देनज़र एन. डी. ए. की गठबंधन सरकार ने उन्हें वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पद का उमीदवार बनाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी लक्ष्मी सहगल को भारी अंतर से पराजित किया और 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया। डॉ कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न ने नवाजा जा चुका था। इससे पहले डॉ राधाकृष्णन और डॉ जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा चुका था।
उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें ‘जनता का राष्ट्रपति’ कहा गया। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर उन्होंने दूसरे कार्यकाल की भी इच्छा जताई पर राजनैतिक पार्टियों में एक राय की कमी होने के कारण उन्होंने ये विचार त्याग दिया।
12वें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के समाप्ति के समय एक बार फिर उनका नाम अगले संभावित राष्ट्रपति के रूप में चर्चा में था परन्तु आम सहमति नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी उमीद्वारी का विचार त्याग दिया।
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद का समय
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद डॉ कलाम शिक्षण, लेखन, मार्गदर्शन और शोध जैसे कार्यों में व्यस्त रहे और भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर, जैसे संस्थानों से विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे। इसके अलावा वह भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के फेलो, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, थिरुवनन्थपुरम, के चांसलर, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई, में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी रहे।
उन्होंने आई. आई. आई. टी. हैदराबाद, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी और अन्ना यूनिवर्सिटी में सूचना प्रौद्योगिकी भी पढाया था।
कलाम हमेशा से देश के युवाओं और उनके भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में बातें करते थे। इसी सम्बन्ध में उन्होंने देश के युवाओं के लिए “व्हाट कैन आई गिव’ पहल की शुरुआत भी की जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार का सफाया है। देश के युवाओं में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 2 बार (2003 & 2004) ‘एम.टी.वी. यूथ आइकॉन ऑफ़ द इयर अवार्ड’ के लिए मनोनित भी किया गया था।
वर्ष 2011 में प्रदर्शित हुई हिंदी फिल्म ‘आई ऍम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।
पुरस्कार और सम्मान
देश और समाज के लिए किये गए उनके कार्यों के लिए, डॉ कलाम को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया।
वर्ष
सम्मान
संगठन
2014
डॉक्टर ऑफ साइंस
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय , ब्रिटेन
2012
डॉक्टर ऑफ़ लॉ ( मानद )
साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय
2011
आईईईई मानद सदस्यता
आईईईई
2010
डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग
वाटरलू विश्वविद्यालय
2009
मानद डॉक्टरेट
ऑकलैंड विश्वविद्यालय
2009
हूवर मेडल
ASME फाउंडेशन, संयुक्त राज्य अमेरिका
2009
अंतर्राष्ट्रीय करमन वॉन विंग्स पुरस्कार
कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान , संयुक्त राज्य अमेरिका
2008
डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग
नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय , सिंगापुर
2007
चार्ल्स द्वितीय पदक
रॉयल सोसाइटी , ब्रिटेन
2007
साइंस की मानद डाक्टरेट
वॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय , ब्रिटेन
2000
रामानुजन पुरस्कार
अल्वर्स रिसर्च सैंटर, चेन्नई
1998
वीर सावरकर पुरस्कार
भारत सरकार
1997
राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1997
भारत रत्न
भारत सरकार
1994
विशिष्ट फेलो
इंस्टिट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स (भारत)
1990
पद्म विभूषण
भारत सरकार
1981
पद्म भूषण
भारत सरकार
मृत्यु: 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, में अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद करोड़ों लोगों के प्रिय और चहेते डॉ अब्दुल कलाम परलोक सिधार गए।
*❁════┅┄🌀🔘🌀┄┅════❁*
*❁════┅┄🌀🔘🌀┄┅════❁*
(ऑक्टोबर १५, इ.स. १९३१ - २७ जुलै, इ.स. २०१५) हे भारतीय शास्त्रज्ञ आणि भारताचे अकरावे राष्ट्रपती (कार्यकाळ २५ जुलै, इ.स. २००२ ते २५ जुलै, इ.स. २००७ होते. आपल्या आगळ्या वेगळ्या कार्यपद्धतीमुळे ते 'लोकांचे राष्ट्रपती' म्हणून लोकप्रिय झाले.
शिक्षण
त्यांचे वडील रामेश्वरमला येणार्या यात्रेकरूंना होडीतून धनुष्कोडीला नेण्याआणण्याचा व्यवसाय करीत. डॉ. कलाम यांनी आपले शालेय शिक्षण रामनाथपुरम्ला पूर्ण केले. लहान वयातच वडिलांचे छत्र गमावल्याने डॉ. कलाम गावात वर्तमानपत्रे विकून, तसेच अन्य लहान मोठी कामे करून पैसे कमवीत व घरी मदत करीत. त्यांचे बालपण खूप कष्टात गेले. शाळेत असताना गणिताची त्यांना विशेष आवड लागली. नंतर ते तिरुचिरापल्ली येथे सेंट जोसेफ कॉलेजमध्ये दाखल झाले. तेथे बी.एस्सी. झाल्यानंतर त्यांनी 'मद्रास इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजीत प्रवेश घेतला. प्रवेशासाठी लागणारे पैसेही त्यांच्याकडे नव्हते. बहिणीने स्वतःचे दागिने गहाण ठेवून त्यांना पैसे दिले. या संस्थेतून एरॉनॉटिक्सचा डिप्लोमा पूर्ण केल्यानंतर, त्यांनी अमेरिकेतील 'नासा' या प्रसिद्ध संशोधन संस्थेत चार महिने एरोस्पेस टेक्नॉलॉजीचे प्रशिक्षण घेतले.
त्यानंतर अब्दुल कलाम यांचा १९५८ ते ६३ या काळात संरक्षण संशोधन व विकास संस्थेशी (DRDO) संबंध आला.
*कार्य*
१९६३ मध्ये ते भारतीय अवकाश संशोधन संस्थेत (इस्रो) क्षेपणास्त्र विकासातील पिएसएलव्ही(सेटेलाइट लॉन्चिंग व्हेईकल) च्या संशोधनात भाग घेऊ लागले.इंदिरा गांधी पंतप्रधान असताना भारताने क्षेपणास्त्र विकासाचा एकात्मिक कार्यक्रम हाती घेतला त्या वेळी डॉ. कलाम पुन्हा डीआरडीओमध्ये आले.
स्वदेशी बनावटीची क्षेपणास्त्रे तयार करण्याची त्यांची जिद्द तेव्हापासूनचीच आहे. भारतीय अवकाश संशोधन संस्थेत (इस्रोमध्ये) अ
सताना सॅटेलाईट लाँन्चिंग व्हेईकल -३ या प्रकल्पाचे ते प्रमुख झाले. साराभाईनी भारतात विज्ञान तंत्रज्ञानाची आघाडी डॉ. कलाम यांनी सांभाळावी, असे वक्तव्य केले होते, ते पुढे कलामांनी सार्थ करून दाखविले. साराभाईंचेच नाव दिलेल्या 'विक्रम साराभाई अवकाश केंद्रा'चे ते प्रमुख झाले.
वैयक्तिक कामापेक्षा सांघिक कामगिरीवर त्यांचा भर असे व सहकार्यांमधील उत्तम गुणांचा देशाच्या वैज्ञानिक प्रगतीसाठी उपयोग करून घेण्याची कला त्यांच्यामध्ये होती. क्षेपणास्त्र विकासकार्यामधील 'अग्नी' क्षेपणास्त्राच्या यशस्वी चाचणीमुळे डॉ. कलाम यांचे जगभरातून कौतुक झाले. पंतप्रधानांचे वैज्ञानिक सल्लागार म्हणून काम करतांना देशाच्या सुरक्षिततेच्या दृष्टीने त्यांनी अनेक प्रभावी धोरणांची आखणी केली. त्यांनी संरक्षण मंत्र्यांचे वैज्ञानिक सल्लागार व डीआरडीओ चे प्रमुख म्हणून त्यांनी अर्जुन हा एम.बी.टी.(मेन बॅटल टँक) रणगाडा व लाइट काँबॅट एअरक्राफ्ट (एलसीए) यांच्या निर्मितीत महत्त्वाची भूमिका पार पाडली.
विज्ञानाचा परम भोक्ता असणारे डॉ. कलाम मनाने खूप संवेदनशील व साधे होते. त्यांना रुद्रवीणा वाजण्याचा, मुलांशी गप्पा मारण्याचा छंद होता. भारत सरकारने 'पद्मभूषण', 'पद्यविभूषण' व १९९८ मध्ये 'भारतरत्न' हा सर्वोच्च किताब देऊन त्यांचा सन्मान केला. डॉ. कलाम हे अविवाहित व पूर्ण शाकाहारी होते. बालपण अथक परिश्रमांत व्यतीत करून विद्येची अखंड साधना करीत खडतर आयुष्य जगलेले, आणि जगातील सर्वात मोठया लोकशाही राष्ट्राच्या राष्ट्रपतिपदी निवड झालेले डॉ. कलाम, हे युवकांना सदैव प्रेरणा देणारे व्यक्तिमत्त्व होते. पुढील वीस वर्षांत
होणार्या विकसित भारताचे
स्वप्न ते सतत पाहत असत..
*डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम*
*गौरव*
भारत सरकारने 'पद्मभूषण', 'पद्मविभूषण' व १९९७ मध्ये 'भारतरत्न' हा सर्वोच्च किताब देऊन त्यांचा सन्मान केला.
Year of Award or Honor
१९८१ पद्मभूषण भारत सरकार
१९९० पद्मविभूषण भारत सरकार
१९९७ भारतरत्न भारत सरकार
१९९७ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकात्मता पुरस्कार भारत सरकार
१९९८ वीर सावरकर पुरस्कार भारत सरकार
२००० रामानुजम पुरस्कार मद्रासचे अल्वार रिसर्च सेंटर
२००७ किंग चार्ल्स (दुसरा) पदक ब्रिटिश रॉयल सोसायटी
२००७ डॉक्टर ऑफ सायन्स ही मानद पदवी वॉल्व्हरहॅम्प्टन विद्यापीठ, U.K
२००८ डॉक्टर ऑफ इंजिनिअरिंग (Honoris Causa) नान्यांग टेक्नॉजिकल युनिव्हर्सिटी, सिंगापूर
२००९ हूवर पदक ASME Foundation(अमेरिकन सोसायटी ऑफ मेकॅनिकल इंजिनिअर्स)
२००९ आंतरराष्ट्रीय von Kármán Wings पुरस्कार अमेरिकेतील कॅलिफोर्निया इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, U.S.A
२०१० डॉक्टर ऑफ इंजिनिरिंग वॉटरलू विद्यापीठ
२०११ न्यू यॉर्कच्या IEEE (इन्स्टिट्यूट ऑफ इलेक्टिकल अॅन्ड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजिनिअर्स) या संस्थेचे समासदत्व. IEEE
डॉ. कलामांची कारकीर्द
शिक्षण : श्वार्ट्झ (Schwartz) हायस्कूल, रामनाथपुरम. सेंट जोसेफ कॉलेज, त्रिचनापल्ली येथे विज्ञान शाखेतील पदवी (१९५४). नंतर चेन्नई येथून एरोनॉटिकल इंजिनियरिंगची पदविका घेतली (१९६०).
१९५८ : डी.आर.डी.ओ.मध्ये सीनियर सायंटिस्ट. तेथे असताना प्रोटोटाईप हॉवरक्रॉफ्ट (हॉवरक्राफ्टचे कामचलाऊ मॉडेल) तयार केले. हैद्राबादच्या डी.आर.डी.ओ.(डिफेन्स रिसर्च अॅन्ड डेव्हलपमेंट ऑर्गनायझेशन)चे संचालकपद.
१९६२ : बंगलोरमध्ये असताना भारतीय अवकाश कार्यक्रमात सहभागी. एरोडायनॅमिक्स डिझाइनच्या फायबर रीएनफोर्स्ड प्लास्टिक (FRP) या प्रकल्पात सहभागी.
१९६३ ते ७१ :विक्रम साराभाई यांच्याबरोबर काम केले. तिरुअनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) येथील विक्रम साराभाई स्पेस रिसर्च सेंटर (ISRO) येथे सॅटेलाईट लॉन्च व्हेईकल (SLV) प्रोग्रॅमचे प्रमुख.
१९७८ ते ८६ : प्रा. सतीश धवन यांच्याबरोबर काम.
१९७९ : SLVच्या उड्डाण कार्यक्रमाचे संचालक
१९७९ ते ८० : थुंबा येथे एसएलव्ही-३ चे प्रोजेक्ट डायरेक्टर. (जुलै १९८० अवकाशात रोहिणी हा कृत्रिम उपग्रह प्रक्षेपित)
१९८१ : पद्मभूषण पुरस्कार प्राप्त
१९८५ : त्रिशूल या अग्निबाणाची निर्मिती.
१९८८ : पृथ्वी अग्निबाणाची निर्मिती. रिसर्च सेंटरची इमारत तयार करवली.
१९८९ : अग्नी या अग्निबाणाची निर्मिती.
१९९० : आकाश व नाग या अग्निबाणांची निर्मिती.
१९९१ : वैज्ञानिक सल्लागार, संरक्षण मंत्री व डी.आर.डी.ओ.चे प्रमुख या नात्याने त्यांनी अर्जुन हा एम.बी.टी.(मेन बॅटल टँक) हा रणगाडा व लाइट काँबॅट एअरक्राफ्ट (एल.सी.ए.) यांच्या निर्मितीत महत्त्वाची भूमिका पार पाडली.
१९९४ : 'माय जर्नी ' हा कवितासंग्रह प्रकाशित.
२५ नोव्हें. १९९८ : भारतरत्न हा पुरस्कार प्राप्त.
२००१ : सेवेतून निवृत्त.
२००२ : भारताच्या राष्ट्रपतीपदावर नेमणूक.
निधन
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम यांची प्रकृती शिलाँग येथील आय.आय.एम.च्या कार्यक्रमात व्याख्यान देताना बिघडली. शिलाँगमधीलच एका रुग्णालयात त्यांनी २७ जुलै, इ.स. २०१५ रोजी अखेरचा श्वास घेतला.
*❁════┅┄🌀🔘🌀┄┅════❁*
*❁════┅┄🌀🔘🌀┄┅════❁*
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
जन्म: 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु
मृत्यु: 27 जुलाई, 20 15, शिलोंग, मेघालय
पद/कार्य: भारत के पूर्व राष्ट्रपति
उपलब्धियां: एक वैज्ञानिक और इंजिनियर के तौर पर उन्होंने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। वर्ष 2002 में कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए और 5 वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
प्रारंभिक जीवन
अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ। उनके पिता जैनुलअबिदीन एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थे इसलिए उन्हें छोटी उम्र से ही काम करना पड़ा। अपने पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का कार्य करते थे। अपने स्कूल के दिनों में कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे। उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। उसके बाद वर्ष 1955 में वो मद्रास चले गए जहाँ से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1960 में कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की।
कैरियर
मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद कलाम ने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में वैज्ञानिक के तौर पर भर्ती हुए। कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटे हेलीकाप्टर का डिजाईन बना कर किया। डीआरडीओ में कलाम को उनके काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। कलाम पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा गठित ‘इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ के सदस्य भी थे। इस दौरान उन्हें प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ कार्य करने का अवसर मिला। वर्ष 1969 में उनका स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में हुआ। यहाँ वो भारत के सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना के निदेशक के तौर पर नियुक्त किये गए थे। इसी परियोजना की सफलता के परिणामस्वरूप भारत का प्रथम उपग्रह ‘रोहिणी’ पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। इसरो में शामिल होना कलाम के कैरियर का सबसे अहम मोड़ था और जब उन्होंने सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना पर कार्य आरम्भ किया तब उन्हें लगा जैसे वो वही कार्य कर रहे हैं जिसमे उनका मन लगता है।
1963-64 के दौरान उन्होंने अमेरिका के अन्तरिक्ष संगठन नासा की भी यात्रा की। परमाणु वैज्ञानिक राजा रमन्ना, जिनके देख-रेख में भारत ने पहला परमाणु परिक्षण किया, ने कलाम को वर्ष 1974 में पोखरण में परमाणु परिक्षण देखने के लिए भी बुलाया था।
सत्तर और अस्सी के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से डॉ कलाम भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में उनका नाम गिना जाने लगा। उनकी ख्याति इतनी बढ़ गयी थी की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपने कैबिनेट के मंजूरी के बिना ही उन्हें कुछ गुप्त परियोजनाओं पर कार्य करने की अनुमति दी थी।
भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ का प्रारम्भ डॉ कलाम के देख-रेख में किया। वह इस परियोजना के मुख कार्यकारी थे। इस परियोजना ने देश को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें दी है।
जुलाई 1992 से लेकर दिसम्बर 1999 तक डॉ कलाम प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव थे। भारत ने अपना दूसरा परमाणु परिक्षण इसी दौरान किया था। उन्होंने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आर. चिदंबरम के साथ डॉ कलाम इस परियोजना के समन्वयक थे। इस दौरान मिले मीडिया कवरेज ने उन्हें देश का सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया।
वर्ष 1998 में डॉ कलाम ने ह्रदय चिकित्सक सोमा राजू के साथ मिलकर एक कम कीमत का ‘कोरोनरी स्टेंट’ का विकास किया। इसे ‘कलाम-राजू स्टेंट’ का नाम दिया गया।
भारत के राष्ट्रपति
एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर उनकी उपलब्धियों और प्रसिद्धि के मद्देनज़र एन. डी. ए. की गठबंधन सरकार ने उन्हें वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पद का उमीदवार बनाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी लक्ष्मी सहगल को भारी अंतर से पराजित किया और 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया। डॉ कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न ने नवाजा जा चुका था। इससे पहले डॉ राधाकृष्णन और डॉ जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा चुका था।
उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें ‘जनता का राष्ट्रपति’ कहा गया। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर उन्होंने दूसरे कार्यकाल की भी इच्छा जताई पर राजनैतिक पार्टियों में एक राय की कमी होने के कारण उन्होंने ये विचार त्याग दिया।
12वें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के समाप्ति के समय एक बार फिर उनका नाम अगले संभावित राष्ट्रपति के रूप में चर्चा में था परन्तु आम सहमति नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी उमीद्वारी का विचार त्याग दिया।
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद का समय
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद डॉ कलाम शिक्षण, लेखन, मार्गदर्शन और शोध जैसे कार्यों में व्यस्त रहे और भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर, जैसे संस्थानों से विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे। इसके अलावा वह भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के फेलो, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, थिरुवनन्थपुरम, के चांसलर, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई, में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी रहे।
उन्होंने आई. आई. आई. टी. हैदराबाद, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी और अन्ना यूनिवर्सिटी में सूचना प्रौद्योगिकी भी पढाया था।
कलाम हमेशा से देश के युवाओं और उनके भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में बातें करते थे। इसी सम्बन्ध में उन्होंने देश के युवाओं के लिए “व्हाट कैन आई गिव’ पहल की शुरुआत भी की जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार का सफाया है। देश के युवाओं में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 2 बार (2003 & 2004) ‘एम.टी.वी. यूथ आइकॉन ऑफ़ द इयर अवार्ड’ के लिए मनोनित भी किया गया था।
वर्ष 2011 में प्रदर्शित हुई हिंदी फिल्म ‘आई ऍम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।
पुरस्कार और सम्मान
देश और समाज के लिए किये गए उनके कार्यों के लिए, डॉ कलाम को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया।
वर्ष
सम्मान
संगठन
2014
डॉक्टर ऑफ साइंस
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय , ब्रिटेन
2012
डॉक्टर ऑफ़ लॉ ( मानद )
साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय
2011
आईईईई मानद सदस्यता
आईईईई
2010
डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग
वाटरलू विश्वविद्यालय
2009
मानद डॉक्टरेट
ऑकलैंड विश्वविद्यालय
2009
हूवर मेडल
ASME फाउंडेशन, संयुक्त राज्य अमेरिका
2009
अंतर्राष्ट्रीय करमन वॉन विंग्स पुरस्कार
कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान , संयुक्त राज्य अमेरिका
2008
डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग
नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय , सिंगापुर
2007
चार्ल्स द्वितीय पदक
रॉयल सोसाइटी , ब्रिटेन
2007
साइंस की मानद डाक्टरेट
वॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय , ब्रिटेन
2000
रामानुजन पुरस्कार
अल्वर्स रिसर्च सैंटर, चेन्नई
1998
वीर सावरकर पुरस्कार
भारत सरकार
1997
राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1997
भारत रत्न
भारत सरकार
1994
विशिष्ट फेलो
इंस्टिट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स (भारत)
1990
पद्म विभूषण
भारत सरकार
1981
पद्म भूषण
भारत सरकार
मृत्यु: 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, में अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद करोड़ों लोगों के प्रिय और चहेते डॉ अब्दुल कलाम परलोक सिधार गए।
*❁════┅┄🌀🔘🌀┄┅════❁*
*❁════┅┄🌀🔘🌀┄┅════❁*
No comments :
Post a Comment