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Friday, 6 October 2017

वाचन प्रेरणादिन हिन्दी भाषणे

वाचन प्रेरणादिन हिन्दी भाषणे

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जनसाधारण में डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के रुप में जाने जाते हैं। वो भारतीय लोगों के दिलों में “जनता के राष्ट्रपति” और “भारत के मिसाइल मैन” के रुप में हमेशा जावित रहेंगे। वास्तव में वो एक महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने बहुत सारे आविष्कार किये। वो भारत के एक पूर्व राष्ट्रपति थे जिनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 में हुआ (रामेश्वरम्, तमिलनाडु, भारत) और 27 जुलाई 2015 में निधन हुआ था (शिलांग, मेघालय, भारत)। कलाम के पिता का नाम जैनुल्लाब्दीन और माँ का नाम आशियम्मा था। कलाम का पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था। वो जीवन भर अविवाहित रहे। कलाम एक महान इंसान थे जिन्हें भारत रत्न (1997 में), पद्म विभूषण (1990), पद्म भूषण (1981), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार (1997), रामानुजन अवार्ड (2000), किंग्स चार्ल्स द्वितीय मेडल (2007), इंटरनेशनल्स वोन करमान विंग्स अवार्ड (2009), हूवर मेडल (2009) आदि से सम्मानित किया गया।
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डॉ अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था। वो जनसाधरण में भारत के मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के रुप में प्रसिद्ध हैं। ब्रिटिश भारत (वर्तमान में तमिलनाडु का रामनाथपुरम् जिला) के तहत मद्रास प्रेसीडेंसी के रामनद जिले के रामेश्वरम् में 15 अक्टूबर 1931 को एक गरीब तमिल परिवार में उनका जन्म हुआ था। वो एक महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने भारत के 11वें राष्ट्रपति के रुप में वर्ष 2002 से 2007 तक देश की सेवा की। राष्ट्रपति के अपने कार्यकाल को पूरा करने के बाद, वो अपने नागरिक जीवन के लेखक, शिक्षा और लोक सेवा में लौट आये। अब्दुल कलाम ने इसरो और डीआरडीओ के विभिन्न मुख्य पदों पर अपनी सेवा प्रदान की और उसके बाद भारत के कैबिनेट मंत्रालय में भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार बने।

देश के सर्वोच्च तीन नागरिक सम्मान (पद्म भूषण 1981, पद्म विभूषण 1990, भारत रत्न 1997) के साथ ही उन्हें कम से कम 30 विश्वविद्यालयों के द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। वो एक महान व्यक्तित्व के साथ ही साथ देश के युवाओं के लिये एक प्रेरणास्रोत भी थे जिन्होंने अचानक हृदयगति रुक जाने के कारण 27 जुलाई 2015 को आईआईएम मेघालय में अपनी आखिरी साँसे लीं। वो शारीरिक रुप से भले ही हमारे बीच में मौजूद नहीं हों लेकिन फिर भी उनके देश के लिये किये गये महान कार्य और योगदान हमेशा हमारे साथ रहेंगे। अपनी किताब “भारत 2020 - नवनिर्माण की रुपरेखा” में उन्होंने भारत को एक विकसित देश बनाने के अपने सपने को उल्लिखित किया है।

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डॉ अब्दुल कलाम भारत के एक मिसाइलमैन थे। वो जनसाधरण में ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रुप में मशहूर हैं। उनका पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था। वो एक महान वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। कलाम का जन्म जैनुल्लाब्दीन और आशियम्मा के घर 15 अक्टूबर 1931 को एक गरीब तमिल मुस्लिम परिवार में तमिलनाडु के रामेश्वरम् में हुआ था। अपने शुरुआती समय में ही कलाम ने अपने परिवार की आर्थिक मदद करनी शुरु कर दी थी। उन्होंने 1954 में तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ़ कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन और 1960 में चेन्नई के मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉज़ी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ीई पूरी की।

कलाम ने एक वैज्ञानिक के तौर पर डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) में कार्य किया जहाँ उन्होंने भारतीय सेना के लिये एक छोटा हेलिकॉप्टर डिज़ाइन किया। उन्होंने ‘इन्कोस्पार’ कमेटी के एक भाग के रुप में डॉ विक्रमसाराभाई के अधीन भी कार्य किया। बाद में, कलाम साहब भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपास्त्र (एसएलवी-तृतीय) के प्रोजेक्ट निदेशक के रुप में 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़ गये। भारत में बैलिस्टिक मिसाइल के विकास के लिये दिये गये अपने महान योगदान के कारण वो हमेशा के लिये “भारत के मिसाइल मैन” के रुप में जाने जायेंगे। 1998 के सफल पोखरन-द्वितीय परमाणु परीक्षण में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

वो भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे जिसे भारत रत्न से सम्मानित किया गया था (पहले डॉ सर्वपल्ली राधकृष्णन को 1954 में और दूसरे डॉ ज़ाकिर हुसैन को 1963 में)। भारत सरकार में एक वैज्ञानिक सलाहकार के रुप में साथ ही साथ इसरो और डीआरडीओ में अपने योगदान के लिये 1981 में पदम् भूषण और 1990 में पदम् विभूषण से भी सम्मानित किया गया। डॉ कलाम ने बहुत सारी किताबें लिखी जैसे विंग्स ऑफ फायर, इग्नीइटेड माइन्ड्स, टारगेट्स 3 बिलीयन इन 2011, टर्निमग प्वॉइंट्स, इंडिया 2020, माई जर्नी आदि।
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डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक महान भारतीय वैज्ञानिक थे जिसने भारत के 11वें राष्ट्रपति के रुप में वर्ष 2002 से 2007 तक देश की सेवा की। वो भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति थे क्योंकि एक वैज्ञानिक और राष्ट्रपति के रुप में देश के लिये उन्होंने बहुत बड़ा योगदान दिया था। ‘इसरो’ के लिये दिया गया उनका योगदान अविस्मरणीय है। बहुत सारे प्रोजेक्ट को उनके द्वारा नेतृत्व किया गया जैसे रोहिणी-1 का लाँच, प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलिएंट, मिसाइलों का विकास (अग्नि और पृथ्वी) आदि। भारत की परमाणु शक्ति को सुधारने में उनके महान योगदान के लिये उन्हें “भारत का मिसाइल मैन” कहा जाता है। अपने समर्पित कार्यों के लिये उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया। भारत के राष्ट्रपति के रुप में अपने कार्यकाल के पूरा होने के उपरान्त, डॉ कलाम ने विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एक अतिथि प्रोफेसर के रुप में देश की सेवा की।

उनका व्यवसाय और योगदान

15 अक्टूबर 1931 को जैनुल्लाब्दीन और आशियम्मा के घर में डॉ कलाम का जन्म हुआ। उनके परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी जिसके कारण इन्होंने बहुत कम उम्र में ही आर्थिक सहायता देने के लिये काम करना शुरु कर दिया था। हालांकि अपने काम करने के दौरान इन्होंने कभी-भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। 1954 में तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ़ कॉलेज से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन और मद्रास इंस्टीट्यूट से वैमानिकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। ग्रेजुएशन के बाद कलाम एक मुख्य वैज्ञानिक के रुप में डीआरडीओ से जुड़ गये हालांकि बहुत जल्द ही ये भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपास्त्र के प्रोजेक्ट निर्देशक के रुप में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में विस्थापित हो गये। डॉ कलाम ने गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम के मुख्य कार्यकारी के रुप में भी कार्य किया जिसमें मिसाइलों के एक कंपन के एक साथ होने वाले विकास शामिल थे।

डॉ कलाम वर्ष 1992 से वर्ष 1999 तक प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के सेक्रेटरी भी बने। पोखरन द्वितीय परमाणु परीक्षण के लिये मुख्य प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर के रुप में उनके सफल योगदान के बाद उन्हें “भारत का मिसाइल मैन” कहा जाने लगा। वो पहले ऐसे वैज्ञानिक थे जो बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के वर्ष 2002 से 2007 वर्ष तक भारत के राष्ट्रपति थे।

उन्होंने बहुत सारी प्रेरणादायक किताबें लिखी जैसे “इंडिया 2020, इग्नाइटेड माइन्ड्स, मिशन इंडिया, द ल्यूमिनस स्पार्क, इंस्पायरिंग थॉट्स” आदि। डॉ कलाम ने देश में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिये “वॉट कैन आई गिव मूवमेंट” नाम से युवाओं के लिये एक मिशन की शुरुआत की। देश (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद और इंदौर, आदि) के विभिन्न इंस्टीट्यूट और विश्वविद्यालयों में उन्होंने अतिथि प्रोफेसर के रुप में अपनी सेवा दी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ

स्पेस साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी तिरुअनन्तपुरम् में चांसलर के रुप में, जेएसएस यूनिवर्सिटी (मैसूर), एयरोस्पेस इंजीनियरिंग ऐट अन्ना यूनिवर्सिटी (चेन्नई) आदि। उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मान से नवाज़ा गया जैसे पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न, इंदिरा गांधी अवार्ड, वीर सावरकर अवार्ड, रामानुजन अवार्ड आदि।

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